एक ही उपाय है गंगाजल

धर्मेंद्र पैगवार.(Poora Sach)
भोपाल। निर्भया, कठुआ, बाबरिया गिरोह की वारदात, अलीगढ़, मंदसौर ओर अब भोपाल। ये घटनाएं रूक नहीं रही हैं। हर वारदात के बाद, बयान, सोशल मीडिया पर गुस्सा, कैंडल मार्च ओर आखिर में फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट में केस चलाने की घोषणा।
1 हर घटना के बाद विधायक, सांसद गुस्सा जताते हैं।
2 सरकार फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट में केस चलाने की घोषणा करती है।
3 फिर मामला हाइकोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट में सालों चलता है।
4 क्या ओचित्य रहता है निचली फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट का।
5 सरकार य सुप्रीम कोर्ट को तय करना चाहिए कि निचली अदालत के बाद एक हाइकोर्ट ओर एक सुप्रीम कोर्ट जज 6 महीने के भीतर इस पर हर अपील पर फैसला देंगे।
6 राष्ट्रपति के लिए भी समयसीमा हो कि वे एक महीने के भीतर दया याचिका पर फैसला देंगे।
7 जो विधायक और सांसद बयान देते हैं उन्हें विधानसभा ओर संसद में कानून बनाना चाहिए, कि बच्चियों के हत्यारों को 6 महीने के भीतर फांसी होगी।
आखिरी इलाज-👍
देखिए घर की बच्ची की जान जाने के बाद बचता क्या है? य तो आप टीवी कैमरों पर बयान देते रहे। य पुलिस की थ्योरी पर अदालतों के चक्कर काटकर न्याय की उम्मीद में बूढ़े हो जाइए।
-दिल्ली में निर्भया कांड हुआ। उस युवती के साथ सबसे क्रूर बर्ताव करने वाला बाहर है। अब निर्भया का वो दोस्त जो घटना के वक्त साथ था, य निर्भया के पिता य भाई क्या कर रहे हैं?
- उप्र में हाइवे पर एक परिवार को लूटने के बाद मां-बेटी से दुराचार हुआ था। बाबरिया गिरोह के लोग पकड़े गए, अभी तक फांसी नही हुई।
- मंदसौर, कठुआ, अलीगढ ओर अब भोपाल। लोगों को क्या गंगाजल याद नही है। समाज ये सोसायटी सिर्फ कैंडल जला सकती है। प्रेसनोट जारी करके, य बाईट देकर गुस्सा दिखा सकती है.
- यदि आपके मन मे इस अत्याचार के खिलाफ वाकई गुस्सा है तो इन दरिंदों को अपने हाथ से सजा दीजिये.
- नृशंस तरीके से मारिए इन दरिंदो को। देश मे यदि 10 जगह समाज ने य परिजनों ने इस तरह की सजा दे दी तो सच मानिए, अंजाम जानकर ही ये अपराध रुक जाएंगे।
- तो देर क्यों, जब जनता सजा देगी तो संसद भी कानून बनाएगी। अपने आप बच्चियों को न्याय मिलने लगेगा।
- सुप्रीम कोर्ट भी उतनी जल्दी न्याय करने लगेगी जितनी जल्दी उसने सीजेआई पर लगे आरोप का केस निपटाया।।
अहिंसा परमो धर्म:, धर्म हिंसा तदैव च।
(अहिंसा परम् धर्म है, लेकिन धर्म के लिए हिंसा करना उससे ज्यादा श्रेष्ठ है। बेटियों को न्याय दिलाना भी धर्म है।) Dharmendra Paigwar