भोपाल, धर्मेन्द्र पैगवार।
भारतीय जनता पार्टी ने सिर्फ दो सीट छोड़ कर अपने बाकी बचे विधानसभा उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। राजधानी की दक्षिण पश्चिम सीट से भाजपा ने प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी को टिकट देकर एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है। लव जिहाद के विरोध में पिछले 25 साल से संघ में काम कर रहे सबनानी की छवि हार्डकोर हिंदू की है। उन्हें टिकट देकर भाजपा ने हुजूर और भोपाल उत्तर के अलावा कटनी जैसी सिंधी बाहुल्य सीट पर भी मतदाताओं को साधने का प्रयास किया है। नर्मदा पुरम में भाजपा ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीता शरण शर्मा को फिर से मौका दिया है। उनका मुकाबला अपने सगे भाई कांग्रेस उम्मीदवार गिरजा शंकर शर्मा से होगा। भाजपा ने जीत को प्राथमिकता दी है यही वजह है कि सतना जिले की नागौद सीट पर 83 साल के पूर्व मंत्री नागेंद्र सिंह और रीवा जिले की गुढ़ सीट पर भी बुजुर्ग नागेंद्र सिंह को मौका दिया है। नर्मदा पुरम जिले में 2018 का चुनाव लड़े सभी प्रत्याशी 2023 में भी चुनाव लड़ रहे हैं। यहां भी 70 साल की उम्र पार कर चुके डॉक्टर शर्मा और सिवनी मालवा से प्रेम शंकर वर्मा को मौका मिला है। 
सीहोर जिले की आष्टा सीट पर पिछले दो चावन में कांग्रेस प्रत्याशी रहे इंजीनियर गोपाल सिंह पर भाजपा ने दांव लगाया है। इसी तरह एक सप्ताह पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व विधानसभा स्पीकर स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी के पोते सिद्धार्थ तिवारी को त्योथर से टिकट दिया गया है। विदिशा जिले की गंजबासौदा और शमशाबाद के मौजूदा विधायकों की टिकट काट दिए गए हैं। बासौदा से हरि सिंह रघुवंशी और शमशाबाद से सूर्य प्रकाश मीणा उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। राजगढ़ जिले की नरसिंहगढ़ सीट से भी भाजपा ने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर पूर्व विधायक मोहन शर्मा को मौका दिया है। कांग्रेस की पिछली सरकार में राजगढ़ कलेक्टर निधि निवेदिता से संघर्ष करने वाले पूर्व विधायक अमर सिंह यादव को राजगढ़ का प्रत्याशी घोषित किया गया है। भोजपुर में भाजपा ने एक बार फिर पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटवा पर भरोसा जताया है। 
 1990 का पूरा बैच मैदान में
राजधानी की सात विधानसभा सीटों पर गोविंदपुर से कृष्णा गौर को छोड़कर भाजपा के 1990 के दशक के पार्षद रहे नेता विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। भोपाल दक्षिण पश्चिम से भाजपा ने पार्टी जिला अध्यक्ष रहे वह मौजूदा प्रदेश महामंत्री सबनानी को मौका दिया है। वह संघ की पसंद है। 1994 में हुए नगर निगम चुनाव में भगवान दास सबनानी,रामेश्वर शर्मा,  आलोक शर्मा, ध्रुव नारायण सिंह और विष्णु खत्री एक साथ पार्षद बने थे। नरेला से चुनाव लड़ रहे मंत्री विश्वास सारंग को 1999 में पार्षद बनने का मौका मिला था। अब यह सभी नेता भोपाल शहर की 6 अलग-अलग सीटों से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। 
प्रदेश के इतिहास में दूसरी बार दो भाई आमने-सामने
नर्मदा पुरम में दो सगे भाई एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे भाजपा से डॉक्टर सीता शर्मा और कांग्रेस से गिरजा शंकर शर्मा। गिरजा शंकर शर्मा भी दो बार भाजपा से विधायक रहे हैं लेकिन कुछ दिन पहले वह पार्टी से नाराज होकर कांग्रेस में चले थे। प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में यह दूसरा मौका है जब दो सगे भाई भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार बनाकर एक दूसरे से चुनाव लड़े थे। खरगोन जिले की बड़वाह सनावद विधानसभा से 2013में राजेंद्र सिंह सोलंकी अपने सगे भाई हितेंद्र सिंह सोलंकी के सामने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। इस चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार हितेंद्र सिंह सोलंकी की जीत हुई थी। दूसरे नंबर पर निर्दलीय सचिन बिरला रहे थे। 2008 में खंडवा जिले की मांधाता विधानसभा जो तब निर्माण खेड़ी कहलाती थी से चार बार के पूर्व विधायक राणा रघुराज सिंह तोमर अपने सगे बेटे के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़े थे। जिसमें बेटे बीजेपी प्रत्याशी लोकेंद्र सिंह तोमर की जीत हुई थी। अब इस विधानसभा का नाम मांधाता है।

न्यूज़ सोर्स : bjp hinduttav candidate